सीधा, सरल जो मन मेरे घटा
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शून्य,
एक शून्य
और कुछ नहीं.
क्यों नहीं दीखता?
अब कुछ और,
सूझता, समझ आता
या
दिखाई देता.
महसूस होता है
हरपाल क्यों
एक शून्य
यही एक शून्य.
नहीं होता उपलब्ध
कुछ भी
सिवाय इस शून्य के.
शून्य
जो उपजा है,
चले जाने से आपके.
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