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राजनीति में स्लेजिंग – ताकि भटके सबका ध्यान

सीधा, सरल जो मन मेरे घटा
सीधा, सरल जो मन मेरे घटा
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हमारे गृह मंत्री श्री पी. चिदंबरम जी कहते हैं कि जब वह राहुल गांधी को बंद आँखों से सुनते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है कि राजीव गांधी बोल रहे हों.l अब चूंकि कांग्रेस का महाधिवेसन चल रहा हो तो गांधी परिवार से वफादारी सिद्ध करने का इससे अच्छा मौका तो हो ही नहीं सकता.l कांग्रेस में बिलकुल राजशाही और चमचागीरी का बोलबाला है, जहाँ एक ही परिवार राज करने का हक़ रखता है.l हालाँकि स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कुछ हद तक दूरदर्शी कदम होते थे.l नेहरु भी एक स्वप्नद्रष्टा थे.l इंदिरा तो अपने दृढ इरादों के लिए विख्यात थीं.l परन्तु इन्होनें भी १९७५ में जनता की आवाज को दबाने का ही काम किया था. २४ कैरेट का नेता अभी भी कोई हमारे देश में सच्चे मायनों में हो इसका इंतज़ार है हर भारतीय को अब तक.l माननीय श्री प्रकाश जायसवाल, कोयला मंत्री जी कहते हैं कि अन्ना हजारे ने कांग्रेस का काम आसान कर दिया (नव भारत टाइम्स, १०.०४.२०११). उनके अनुसार कांग्रेस पार्टी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ थी और वह सख्त से सख्त लोकपाल बिल लाना चाहती थी। लेकिन उसे डर था कि यह बिल कहीं ज्यादा सख्त हो गया तो संसद में इसका विरोध हो जाएगा और अन्य राजनीतिक दल इसे पारित नही होने देंगे.l अरे भैया लाकर तो देखते, कम से कम आपकी नीयत तो पता चलती. बिल लाने से पहले ही लगता है ये विचार विमर्श कर लिया गया की कैसे लोकपाल के दांत देश के द्वारा चुने गए सर्वशक्तिमान नेताओं को ना काट सकें. अरे भाई जनता उन्हें चुना ही इसलिए है की वो कुछ भी मनमानी कर सकें. जनता का आक्रोश तो पानी का बुलबुला है. कोई भी जनता की आवाज़ बने उसपर इतने आरोप लगायो, इतनी जांचें थोप दो कि वो अपनी सफाई देने में व्यस्त हो जाए, और देश और जनता फिर से वहीँ मझदार में. भ्रस्टाचार धीर्रे धीरे राष्ट्रीय चरित्र बनता जा रहा है. कारण सिर्फ यही है कि भ्रस्टाचारियों पर कितने ही आरोप लगते रहें उनका बाल भी बांका नहीं होता, ऊपर से जनता को वो आँखें और दिखाता है. उसकी धमक और रसूख दिन प्रतिदिन तरक्की करती जाती है.l तभी तो एक ऐसा महकमा जहाँ मलाईदार कमी के अवसर हों, हर शख्श उस महकमें में जाने को लालायित दिखता है.l और तो और माँ-बाप भी अक्सर ऐसे महकमें में अपने बच्चों को ज्वाइन करने के लिए प्रेरित करते दीखते हैं.l तो बात राष्ट्रीय चरित्र की हो रही थी, जो पूरी तरह से प्रदूषित कर चुके हैं हम. ऐसे में अगर अन्ना जैसा कोई उस राष्ट्रीय चरित्र को जगाने का काम करता है तो क्या गलत करता है. उस अन्ना में इनको विदेशी शक्तियां दिखती हैं. आँखें खोल कर अन्ना विदेशी शक्ति के एजेंट दिखतें हैं और राहुल गाँधी आँखे बंद कर भी एक भविष्यदृष्टा प्रतीत होतें है. राहुल के सारे स्टंट पर पानी जो फिर गया, अन्ना के आन्दोलन के कारण. अब चुनाव कैसे जीतेंगे मात्र यही चिंता लगता है कांग्रेस को है और कुछ नहीं. रामदेव पर सोते समय हमला करना गलत नहीं है और ना ही अन्ना को बेमतलब में जेल में डाल देने में. आन्दोलन को विफल करने के लिए कुछ भी करना कुछ भी कहना गलत नहीं है कांग्रेस के लिए. अन्ना किसी सरकार को गिराने के लिए आन्दोलन नहीं कर रहे.l ऐसा नहीं कांग्रेस नहीं जानती. और ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस यह भी नहीं जानती कि अन्ना के आन्दोलन को दबाने से जनता में आक्रोश नहीं फ़ैल रहा. कांग्रेस जानती है कि जनता कि याददास्त बहुत कमजोर है. एक बयान इन नेताओं का यह भी कि एक बहुमत की सरकार है वर्तमान कांग्रेस की सरकार. सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में कांग्रेस 11 करोड़ वोट पाकर सत्ता में है, और बीजेपी साढ़े आठ करोड़ वोट पाकर मुख्य विपक्षी दल है। ऐसे में इन बुद्धिजीवियों का ये दावा कि अन्ना के आंदोलन को पूरे देश का समर्थन नहीं है क्या हास्यास्पद नहीं है. कांग्रेस के सिपहसालारों के एक के बाद खुलती पोल और उनकी एकमात्र आस राहुल के सारे किये कराये राजनीतिक स्टंट पर पानी फिर चुका हैl. अरे भाई… शांतिपूर्ण विरोध करना हमारा मौलिक अधिकार है। सरकार को अगर लगता है कि अन्ना के, सही मायनों में जनता के विरोध का कोई मतलब नहीं तो वो अपने मन की कर सकती है। उसे घवराने की क्या जरुरत है.l चिदंबरम, सिब्बल, अल्वी कोई भी हो सबके बयान के पीछे किसी भी तरह जनता का ध्यान इस पवित्र उद्देश्य और आन्दोलन से हटाना है. क्रिकेट की तरह स्लेंजिंग के द्वारा किसी भी तरह बस वो फतह चाहते हैं. राजनीति में स्लेजिंग – ताकि भटके सबका ध्यान और होवे बस अपना कल्याण…

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